बड़े ही रोचक मुकाबले की गवाह बन रही है यूपी की राजधानी से सटी बाराबंकी (सुरक्षित) लोकसभा सीट। यहां अगड़े, पिछड़े, एससी और एसटी मतदाताओं ने पूरी तरह से अपना मन बना लिया है, तो मुसलमान कांग्रेस और गठबंधन को तौल रहा है। जिसके पास ज्यादा आधार वोट दिखेगा, मुस्लिम मतदाता उसी तरफ रुख करने को तैयार बैठा है। जीत के दावे अपने-अपने हैं, पर इतना तय है कि हार-जीत का अंतर कुछ हजार में ही रहेगा।
बाराबंकी का मतदाता काफी मुखर है। मतदाता खुलकर बोल देता है कि वह किसे वोट देगा। यहां तक कि एक ही समूह में बैठे अलग-अलग पार्टियों को वोट देने का मन बना चुके मतदाता भी राय जाहिर करने में संकोच नहीं करते। यहां विकास के बजाय मतदाताओं के दिलो-दिमाग पर जातिगत समीकरण ज्यादा हावी हैं। भाजपा ने यहां से मौजूदा सांसद प्रियंका रावत का टिकट काटकर उपेंद्र रावत को मैदान में उतारा है तो सपा-बसपा गठबंधन ने रामसागर रावत और कांग्रेस ने तनुज पुनिया को।
क्षेत्र के साथ बदल रही मतदाताओं की रणनीति
कुर्सी विधानसभा क्षेत्र में नवई गांव के चौराहे पर मिले महेश गौतम मानते हैं कि मुख्य मुकाबला गठबंधन और भाजपा के बीच है। नवई के किसान हजारी लाल यादव भी उनसे सहमत दिखे। हालांकि, उनके पास ही बैठे कल्लू रावत कहते हैं कि गठबंधन और कांग्रेस में जिसकी तरफ मुस्लिम मतदाता झुकेगा, उसी से भाजपा की मुख्य टक्कर होगी। अजय कुमार जायसवाल बिना किसी लाग-लपेट के बताते हैं कि चुनाव राष्ट्रवाद के मुद्दे पर हो रहा है। हमें इससे मतलब नहीं कि कौन प्रत्याशी है, पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट देंगे। राजनीति में रुचि रखने वाले मुन्ना गाजी कहते हैं कि निंदूरा ब्लॉक में मुसलमान कांग्रेस के साथ भी जा रहा है, लेकिन टिकैतगंज से बाबागंज तक पूरी तरह से गठबंधन के साथ है। इसलिए पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता कि ऊंट किस करवट बैठेगा।
जीत-हार में ज्यादा अंतर के नहीं आसार, कांग्रेस और गठबंधन को तौल रहा मुसलमान, बाकी ने बनाया मन